my childhood summary in hindi
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक बहुत ही मशहूर ढाबे वाला था जिसके ढाबे का खाना सभी को बहुत पसंद आता था क्योंकि वह बहुत ही my childhood summary in hindi
अच्छी तरीके से अपने ढाबे का खाना बनाता था उसके ढाबे का खाना खाकर लोग जहां भी जाते उसकी तारीफ करते थे किसी तरह दिन गुजर गए और
एक दिन धागे का मालिक जंगल से गुजर रहा था तभी उसे एक बंदर दिखाई दिया जो बंदर बोलता था बंदर ने उसे कहा भाई हैरान मत हो मैं से पहले
सर्कस में काम करता था इसीलिए मैं इंसानों से बोलता सकता हूं मैं यहां पर रहकर बोर हो गया हूं क्या तुम्हारे साथ चल सकता हूं ढाबे का मालिक
बहुत दयालु था उसे अपने साइकिल पर बैठाया और उसे लेकर अपने ढाबे पर चलाया बंदर जब धागे को देखा तो बहुत खुश हुआ और बोला क्या मैं
पराठा खा सकता हूं ढाबे का मालिक बोला बिल्कुल तुम खा सकते हो धीरे-धीरे समय गुजरता गया बंदर कभी टेबल साफ कर देता कभी ढाबे के बाहर
झाड़ू लगा देता कभी पानी भरकर लाता काफी मेहनत करता 1 दिन ढाबे के मालिक को कहीं जाना था ढाबे का मालिक बोला मैं कुछ काम से बाहर जा
रहा हूं तुम्हें इस ढाबे को संभालना है बंदर ने कहा मालिक जैसी आपकी इच्छा आप जाइए मैं ढाबे को बहुत ही अच्छी तरीके से संभाल लूंगा इतना
कहकर ढाबा का मालिक चला गया कुछ देर बाद वहां पर उस राज्य का राजा पधारे और राजा ने कहा मैंने बहुत नाम सुना है इस ढाबे का मेरे लिए भी
खाना लाओ राजा ने बंदर की आवाज सुनी तो चौक गए और बंदर ने कहा ठीक मालिक मैं अभी आपके लिए खाना लाया राजा ने अपना हाथ धोया और
अपने मुकुट को उतारकर वही टेबल पर रख दिया बंदर बोला महाराज मैं इसे अंदर रख देता हूं वरना आपका मुकुट गंदा हो जाएगा राजा को यह बात
बहुत अच्छी लगी और राजा ने मुकुट को बंदर को दे दिया बंदर मुकुट पहन कर रोटियां बनाने लगा कुछ देर रोटिया बनाया उसके बाद मुकुट को
उतारकर तवे पर रख दिया जिससे बहुत ज्यादा धुआं उठने लगा राजा साहब सोचे यह धुआं कहां से उठता है जब देखे तो उनका मुकुट तवे पर रखा हुआ था
राजा साहब तुरंत गए और अपने मुकुट को उठाया परंतु मुकुट इतना गर्म हो गया था कि राजा साहब का हाथ जल गया इतने में राजा साहब की सिपाही
जब बंदर को पकड़ने के लिए दौड़े तो बंदर भागकर पेड़ पर चढ़ गया फिर बंदर राजा साहब को बोला राजा साहब यहां आए हैं तो कुछ तो खा कर जाइए
और बंदर एक नारियल के पेड़ पर चढ़ा हुआ था वहां से दो नारियल तोड़कर फेंके जो राजा साहब के सीधे सर पर गिरा और राजा साहब वहीं बेहोश हो
गए ढाबे के मालिक को राजा साहब काल कोठरी में डाल दिए तो इसीलिए कहते हैं दोस्तों जिसका काम वही करेगा किसी और का काम अगर जो हम करते हैं
तो शायद इससे हम में घाटा हो सकता है क्योंकि हम यह नहीं जानते कि वह क्या करता है व्यक्ति उसकी प्रियांश और हमारे एक्सपीरियंस में काफी अंतर होता है
तो कैसी लगी यह दोस्तों स्टोरी हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा आप सभी दोस्तों को अपना कीमती समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद