kahaniya in hindi with moral
एक बार की बात है एक नागपुरम नाम का एक सहर था शहर में 2 दोस्त रहते थे एक का नाम अमर था एक का नाम अकबर था उनमें से एक की शादी हो गई थी अकबर की दोनों ही दोस्त बहुत अमीर थे और अच्छी खासी नौकरी करते थे एक बार क्या हुआ कि अकबर की पत्नी ने अमर से
कुछ सोने का सामान मंगवाया क्योंकि दीपावली नजदीक आ गई थी और धनतेरस में सिर्फ 1 दिन था अमर अकबर के पास गया और बोला अकबर भाई भाभी ने कुछ सोने का सामान मंगवाया है क्योंकि कल धनतेरस है तभी अकबर ने बोला ठीक है कल खरीद लेंगे चल आज पैसे निकाल कर लाते हैं
बैंक से दोनों दोस्त गए और बैंक से पैसे निकाल कर लाए और घर आते आते शाम हो गई और दोनों सो गए दूसरी सुबह उठकर नहा धोकर दोनों दोस्त अकबर की बीवी के कहे सोने का सामान लेने चले गए उसके बाद आते आते उन्हें शाम हो गई और उन्होंने एक बैड खरीद कर लाया घर
आने के बाद अकबर की बीवी ने बैड देखा तो वह भयभीत रह गई और अपने पति अकबर से पूछी यह क्या लाए हो धनतेरस के दिन तभी अकबर ने बोला तुम ही ने तो बोला था सोने का सामान ले आना तभी अकबर की बीवी गुस्सा आ गया और उसने अकेले ही मिलकर दोनों की अच्छे से
धुलाई कर दी और दोबारा भेजी सामान लाने के लिए फिर बेचारे दोनों गए सोनार की दुकान में और अपनी बीवी के लिए अकबर एक सोने का चैन लिया और घर आ गया यह चैन देखते ही अकबर की बीवी खुश हो गई खुशी देखकर बेचारे अमर के मुंह से निकल गया कि अच्छा हुआ कि मेरी
शादी नहीं हुई है और ना मुझे भी पैसा खर्च करना पड़ता इतना सुनकर अकबर की बीवी ने फिर बेचारे अमर की धुलाई कर दी और बोली अपनी
बीवी पर पैसा नहीं खर्च करोगे तो किससे करोगे फिर धुलाई खाते-खाते बेचारे दोनों अमर और अकबर की दीपावली बीती फिर उन दोनों ने कभी गलती नहीं की ।